
भारतीय आध्यात्मिक परंपरा में कथा और प्रवचन का अत्यंत महत्व रहा है। समयांतर से अनेक महान कथावाचक पैदा हुए, जो अपने ज्ञान-प्रेम और भक्ति द्वारा साधारण जनों को प्रभावित कर गए। इन महान वक्ताओं में पूज्य श्री इंद्रेश उपाध्याय जी महाराज विराजते हैं। युवा वर्ग में तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं, और अपनी मधुर शैली से लाखों श्रोताओं के दिलों को छू रहे हैं।
जन्म और प्रारंभिक जीवन

इंद्रेश उपाध्याय जी का जन्म 7 अगस्त 1997, उत्तर प्रदेश के पावन नगर वृंदावन में हुआ था। वर्तमान वर्ष में उनकी आयु केवल 26 वर्ष है। जन्म से ही भक्ति और आध्यात्मिक वातावरण ने उनके जीवन पर गहरा प्रभाव डाला। इनके पिता श्री कृष्ण चंद्र शास्त्री, जिन्हें सम्मान पूर्वक ठाकुर जी के नाम से जाना जाता था, स्वयंकथावाचक प्रसिद्धि प्राप्त थे। इंद्रेशजी को बचपन से ही भगवान श्रीकृष्ण की गहरी आराधना थी, जो बाद में इनका जीवन आधार बनी।
शिक्षा : अध्ययन एवं आध्यात्मिक
इंद्रेशजी ने अपनी प्रांरभिक शिक्षा कान्हा माखन पब्लिक स्कूल, वृंदावन से ग्रहण की। पढ़ाई के साथ-साथ श्रीमद्भागवतमहापुराण का गहन अध्ययन भी हुआ। माना जाता है कि पिता और परिवार का आशीर्वाद ही था कि मात्र 13 वर्ष की आयु में उन्होंने संपूर्ण भागवत पुराण को कंठस्थ कर लिया। इसके अतिरिक्त वे वैदिक ग्रंथों, उपनिषदों तथा संत साहित्य में रुचि लेते थे।
परिवार

इंद्रेश उपाध्याय जी वर्तमान में अपने माता-पिता और भाई-बहनों के साथ वृंदावन में ही निवास करते हैं। उनके पिता श्री कृष्ण चंद्र शास्त्री जी प्रसिद्ध कथावाचक हैं, जबकि माता जी और भाई-बहनों के बारे में सार्वजनिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। अभी वे अविवाहित हैं और पूर्ण रूप से कथा-सेवा और भक्ति के मार्ग में रत हैं।
करियर और आध्यात्मिक यात्रा
बहुत कम उम्र में ही इंद्रेश जी ने कथा कहने का कार्य शुरू किया। उनकी आवाज़ की मधुरता और प्रस्तुति की गहराई ने श्रोताओं का मन मोह लिया। वे अपने प्रवचनों में केवल धार्मिक बातें ही नहीं करते, बल्कि गौ-सेवा, नैतिक जीवन और सामाजिक मूल्यों पर भी जोर देते हैं।
उनके प्रवचन में यह स्पष्ट झलकता है कि वे केवल कथावाचक ही नहीं, बल्कि एक मार्गदर्शक और प्रेरक भी हैं। आज देशभर में उनके भक्ति-समारोह आयोजित किए जाते हैं और बड़ी संख्या में लोग उनके प्रवचनों को सुनने आते हैं।
इसके साथ ही वे भजन-गायन में भी निपुण हैं। उनके गाए हुए कई भजन भक्तों की आत्मा को छू जाते हैं और सोशल मीडिया पर खूब सुने जाते हैं।
शारीरिक बनावट

आयु: 28 वर्ष (2025 में)
लंबाई: लगभग 5 फीट 8 इंच
वजन: करीब 70 किलो
रंग: गोरा
आंखें: काली
बाल: काले
सोशल मीडिया पर उपस्थिति
इंद्रेश उपाध्याय जी सोशल मीडिया पर भी सक्रिय रहते हैं। खासकर इंस्टाग्राम पर उनके लगभग 1.65 लाख फॉलोअर्स हैं, जहां वे अपनी कथा, भजन और आध्यात्मिक विचार साझा करते हैं। उनके भक्ति चैनल का नाम “भक्ति पथ” है, जिसे बड़ी संख्या में लोग फॉलो करते हैं।
रोचक तथ्य

इंद्रेश जी ने मात्र 13 वर्ष की उम्र में श्रीमद्भागवत का संपूर्ण अध्ययन पूरा कर लिया।
वे हमेशा गौ-सेवा और गो-रक्षा के महत्व पर जोर देते हैं।
भजनों के माध्यम से भी वे लोगों को भगवान की भक्ति की ओर प्रेरित करते हैं।
उनका जीवन युवाओं के लिए एक प्रेरणा है कि छोटी उम्र में भी समर्पण और आस्था के बल पर बड़ा कार्य किया जा सकता है।
निष्कर्ष
इंद्रेश उपाध्याय जी न केवल एक प्रसिद्ध कथावाचक हैं, बल्कि वे आध्यात्मिकता और मानवीय मूल्यों के प्रचारक भी हैं। उनकी वाणी में भक्ति का रस और जीवन को सही दिशा देने वाली सीख दोनों ही समाहित हैं। आने वाले समय में वे निश्चय ही भारतीय आध्यात्मिक धारा के एक प्रमुख स्तंभ बनकर उभरेंगे।